Friday, June 3, 2011
क्या हम इन सब के लिए जिम्मेदार हैं ?
पिछली बार जब मैं अपने घर छपरा (बिहार के महत्वपूर्ण शहरो में से एक) गया था तो देखा एक लड़का (शायद सांतवी या आठवी में पढता होगा) अपने छत पे लालटेन जलाकर पढ़ रहा था, बिच-बिच में पीठ पे बैठे हुए मच्छर को मार भी रहा था, कभी-कभी अपने हाँथ से अपने माथे के पसीने को भी पोछ रहा था, हथेली के पसीने से कॉपी के पन्ने गिले हो रहे थे और लालटेन की रौशनी शायद उन महीन अछरो के लिए पर्याप्त नहीं थी !! मूझे मेरा बचपन याद आगया की कैसे आज से 18 -19 साल पहले मैं भी ऐसे ही पढता था, तभी मैंने मामा जी से पूछा की उनके बचपन में कैसी इस्तिथि थी, तो उन्होंने बताया 35 -40 साल पहले भी सबकुछ ऐसा ही था, केवल वो लड़का मैं नहीं हूँ बाकि सारी स्तिथि जस की तस हैं !! यानि पिछले ४० साल में हमारे यहाँ कुछ नहीं बदला, भारत बहुत तरक्की कर गया, यहाँ दुनिया चाँद पे पहुच गई, डेस्कटॉप आके चला गया लैपटॉप पुरानी बात होगई, आई-पैड का जमाना हैं .... फिर भी हमारे यहाँ कुछ क्यूँ नहीं बदला, क्या हम इन सब के लिए जिम्मेदार हैं ? किर्पया आप बताइए ...?
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